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Tuesday, February 28, 2023
देहरादून बार एसोसिएशन के चुनाव परिणामों से, होली से पहले ही मनी होली।
सीआरपीसी की धारा 482 बहुत व्यापक है, वास्तविक और पर्याप्त न्याय करने के लिए सावधानी से प्रयोग किया जाना चाहिए-इलाहाबाद उच्च न्यायालय
इसलिए कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है। तदनुसार, आवेदन खारिज कर दिया गया था।
वाद शीर्षक- -मनीष कुमार पाण्डेय बनाम उ.प्र. राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया की याचिका खारिज की, ट्रायल कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिका के शीघ्र निस्तारण के आदेश देने से इनकार
Monday, February 27, 2023
धर्मशाला पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- यह समाज का हिस्सा, नहीं लगा सकते टैक्स
पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि धर्मशाला पर किसी भी हालत में टैक्स लगाया जा सकता. यह समाज की सेवा का हिस्सा है. नगर निगम ने धर्मशाला प्रबंधक को प्रॉपर्टी टैक्स का नोटिस भेजा था.
नगर निगम ने भेजा प्रॉपर्टी टैक्स का नोटिस
दरअसल, फरीदाबाद स्थित दौलतराम खान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रॉपर्टी पर दावा किया था और कहा था कि वह इस प्रॉपर्टी को किराए पर समय-समय पर शादी और अन्य समारोहों के लिए देते रहते हैं. एक दिन नगर निगम ने उन्हें प्रॉपर्टी टैक्स भरने के लिए नोटिस भेज दिया. याचिकाकर्ता ने कहा कि धर्मशाला पर मोटा टैक्स लगाया जा रहा है और कहा कहा जा रहा है कि न भरने पर इमारत की नीलामी कर दी जाएगी.
धर्मशाला में हो रहा था कॉमर्शियल एक्टिविटी
नगर निगम ने अपना पक्षा रखते हुए कोर्ट में कहा कि धर्मशाला में कॉमर्शियल एक्टिविटी की जा रही थी. जैसा कि याचिकाकर्ता ने बताया कि वह धर्मशाला को शादी समारोहों के लिए किराए पर लगाते रहते हैं, कोर्ट ने कहा कि शादी एक सामुदायिक काम का हिस्सा है और याचिकाकर्ता समाज को अपनी सेवाएं दे रहा है. कोर्ट ने कहा कि शादी समारोहों के लिए आलीशान इमारते हैं, उनसे टैक्स लिया जा सकता है, लेकिन धर्मशाला से नहीं.
Sunday, February 26, 2023
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम-न्यायालय प्रतिफल की शेष राशि का भुगतान करने के लिए नियमित रूप से समय विस्तार की अनुमति नहीं दे सकता: सुप्रीम कोर्ट
Saturday, February 25, 2023
संवैधानिक अदालतें आरोप तय होने के बाद भी आगे की जांच या फिर से जांच का आदेश दे सकती हैं: सर्वोच्च न्यायालय ने जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ आगे की जांच का निर्देश दिया
सुप्रीम कोर्ट ने कल महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड के खिलाफ उस मामले में आगे की जांच करने का निर्देश दिया, जहां चार पुलिसकर्मियों ने प्रधानमंत्री का उपहास करने के मंत्री के कृत्य की आलोचना करने के लिए एक व्यक्ति को पीटा था। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई और जांच का मौलिक अधिकार है। पूर्व मंत्री और राकांपा नेता के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने पुलिस को एक ऐसे व्यक्ति को अपने बंगले पर लाने के लिए मजबूर किया, जिसने एक महत्वपूर्ण फेसबुक पोस्ट लिखा था और अपने आदमियों को निर्देश दिया कि वे उसे पीटें और उससे माफी मांगें। न्यायालय ने कहा कि पूर्ण न्याय करने के लिए और निष्पक्ष जांच और निष्पक्ष सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए, संवैधानिक अदालतें चार्जशीट दायर होने और आरोप तय होने के बाद भी आगे की जांच/पुनः जांच/नए सिरे से जांच का आदेश दे सकती हैं।
दो न्यायाधीशों की खंडपीठ में न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार ने कहा, "... हमारी राय है कि आगे की जांच के लिए मामला बनाया गया है और राज्य एजेंसी को आगे की जांच करने और आगे की सामग्री को रिकॉर्ड करने की अनुमति दी जा सकती है, जो निष्पक्ष जांच को आगे बढ़ाने में हो सकती है और निष्पक्ष सुनवाई। उच्च न्यायालय ने 2020 की प्राथमिकी संख्या 119 और 120 की जांच करने के लिए राज्य पुलिस एजेंसी को आदेश नहीं देने और/या अनुमति नहीं देकर बहुत गंभीर त्रुटि की है।” खंडपीठ बंबई उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उसने अपीलकर्ता की रिट याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी की जांच या फिर से जांच करने के लिए सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी को जांच स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।
Friday, February 24, 2023
योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध एक पुराने वाद को पुनः चलवाने के लिये दखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने लगाया एक लाख रुपये का अर्थदंड
परवेज परवाज नामके शख्स ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें लोअर कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में दर्ज केस को बंद कर दिया था। परवेज की दलील थी कि लोअर कोर्ट का फैसला गलत है। इस मामले को फिर से खोला जाना चाहिए।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में दर्ज हुए एक मामले को फिर से खुलवाने की नीयत से इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे शख्स को उस वक्त लेने के देने पड़ गए, जब अदालत ने उस पर एक लाख का जुर्माना लगा दिया। बात यहीं पर खत्म हो जाती तो भी ठीक था। लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज करते हुए जो फैसला सुनाया उसमें जांच अधिकारियों को ये हिदायत भी दे डाली कि इस शख्स के खातों को चेक करो। ये लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के चक्कर काट रहा है। ताबड़तोड़ रिट दायर करने में इसका कोई जवाब नहीं। लेकिन ये देखना जरूरी है कि ये वकीलों को इतनी मोटी फीसद कहां से दे रहा है। इसके पास इतना सारा पैसा आखिर कहां से आ रहा है।
परवेज परवाज नामके शख्स ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें लोअर कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में दर्ज केस को बंद कर दिया था। परवेज की दलील थी कि लोअर कोर्ट का फैसला गलत है। इस मामले को फिर से खोला जाना चाहिए। जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच के सामने ये अपील दायर की गई थी।
Thursday, February 23, 2023
2020 के मामले में नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को उम्रकैद, वारदात के समय घर में सो रही था पीड़िता
इलाहाबाद उच्च न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में 4 अधिवक्ताओं की नियुक्ति को अधिसूचित किया गया।
विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा दिनाँक 23 फरवरी 2023 को जारी किया गया जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय और मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में चार अधिवक्ताओं की नियुक्ति को अधिसूचित किया है। नियुक्त किए गए अधिवक्ताओं के नाम इस प्रकार हैं-
इलाहाबाद उच्च न्यायालय • अधिवक्ता प्रशांत कुमार • अधिवक्ता मंजीवे शुक्ला • अधिवक्ता अरुण कुमार सिंह देशवाल
मद्रास उच्च न्यायालय • अधिवक्ता वेंकटचारी लक्षमीनारायणन
Wednesday, February 22, 2023
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में पंजाब के बर्खास्त डीएसपी बलविंदर सिंह सेखों की गिरफ्तारी के आदेश दिए
सर्वोच्च न्यायालय ने निष्पादन न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए कहा-निष्पादन न्यायालयों को सचेत होना चाहिए कि वे एक नयी डिक्री न बना दें
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की उच्चतम न्यायालय की खंडपीठ ने आगाह किया है कि निष्पादन न्यायालयों को अपनी व्याख्या को पूरा करने में बहुत सतर्क रहना चाहिए और इस तथ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए कि वे एक नया डिक्री नहीं बना सकते हैं औऱ आगे दोहराया है कि निष्पादन न्यायालय को डिक्री यथास्थिति में ही निष्पादित करनी चाहिए।
In light of the same, the Court concluded that "Both the Courts’ interpretation of reading the Agrawals’ consent into the same is clearly an exercise in overreach." Noting that the Apex Court has repeatedly cautioned against the Execution Courts adopting such an approach, the Court was of the considered view that "As is commonly known, the stream cannot rise above its source. Both Courts have, by selectively perusing the emails, altered the terms of the decree to include the loan amount into the agreement consideration. It is also imperative to note that such a reading was despite the clauses in the joint venture agreement entered into between the parties in 2017". Holding that "It is undeniable that an Executing Court can construe a decree if it is ambiguous. However, as in the facts of the case herein, this cannot result in additions (to the terms of the consent, embodied in the email dated 28.03. 2019) which were not agreed upon by the parties, since the decree was drawn on by consent of both parties at admissions stage itself. Both the single judge and Division Bench of the High Court have interpreted the appellants' silence (manifest in their not filing any written statement) as acquiescence to the inclusion of the loan amount, which, is although worthy of adverse inference, cannot be the reason to justify expansion of the decree.", the Court allowed the appeal and set aside the impugned Judgment.
Case Title: Sanwarlal Agrawal & Ors. v. Ashok Kumar Kothari & Ors.
Tuesday, February 21, 2023
अधिवक्ता परिषद जनपद सम्भल की मासिक बैठक आयोजित
Monday, February 20, 2023
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के लिए के 37 आरिपियोंके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज की
Sunday, February 19, 2023
किसी से लगातार दुर्व्यवहार के साथ जीने की उम्मीद नहीं की जा सकती: दिल्ली हाईकोर्ट ने पुरुष को दिये गये तलाक के फैसले को बरकरार रखा
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्रूरता के आधार पर अपने पति को दिए गए तलाक के फैसले को चुनौती देने वाली एक महिला की याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता-पत्नी का आचरण जो रिकॉर्ड पर साबित हो चुका है, वह इतनी गुणवत्ता, परिमाण और प्रभाव का है, जिससे प्रतिवादी-पति को मानसिक पीड़ा, दर्द, गुस्सा और पीड़ा होती "किसी भी ऐसे व्यक्ति के जीवित रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती जिसके साथ लगातार दुर्व्यवहार किया जा रहा है।”, न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने कहा।
विपक्षी-पति का तर्क यह है कि जब भी झगड़ा होता था, अपीलकर्ता-पत्नी गलत शब्दों का प्रयोग करती थी और उसे और उसके परिवार को अपमानित करती थी।
कोर्ट ने कहा कि हर व्यक्ति को सम्मान पाने और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि अगर इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किसी व्यक्ति के खिलाफ किया जाता है, तो यह उस व्यक्ति के लिए बहुत ही अपमानजनक होगा। कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने पाया कि प्रतिवादी-पति ने क्रूरता के आरोपों को विधिवत साबित किया और कहा कि अपीलकर्ता का व्यवहार उसके ससुराल वालों और पति के प्रति सौहार्दपूर्ण नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट ने माना कि जिरह के दौरान पति के साक्ष्य की विश्वसनीयता को हिलाया नहीं जा सकता है और यह क्रूरता का मामला बनता है। कोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट के फैसले में कोई कमी नहीं है।
हमारा विचार है कि परिवार न्यायालय द्वारा दिए गए निष्कर्ष में कोई दुर्बलता नहीं है कि प्रतिवादी के साथ क्रूरता का व्यवहार किया गया है। हम इस बात से भी संतुष्ट हैं कि जो क्रूरता रिकॉर्ड में साबित हुई है वह पर्याप्त है और हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1)(i-a) के तहत आवश्यक क्रूरता है। इस प्रकार माननीय न्यायालय ने अपील खारिज कर दी।
वाद शीर्षक- दीप्ति भारद्वाज बनाम राजीव भारद्वाज
Thursday, February 16, 2023
Premature release of fixed deposit on single instruction in joint account is deficiency in service-Supreme Court
Wednesday, February 15, 2023
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 10 अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी करने की सिफारिश की।
Saturday, February 11, 2023
जनपद सम्भल में आयोजित वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत में निस्तारित हुए 16227 वाद
Friday, February 10, 2023
लॉ को मैंने नहीं चुना लॉ ने मुझे चुना है- मोनिका अरोरा
मोनिका अरोड़ा जी (जन्म 28 अगस्त 1973) सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली उच्च न्यायालय और दिल्ली जिला न्यायालयों में वकालत करती हैं। वह दिल्ली उच्च न्यायालय में भारत सरकार की स्थायी शासकीय अधिवक्ता के रूप में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करती हैं।
आप दिल्ली के दंगों पर हकीकत बयां केने वाली और सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक 'दिल्ली रायट्स 2020: द अनटोल्ड स्टोरी' की लेखिका भी हैं इस पुस्तक की 50,000 से अधिक प्रतियां बेची जा चुकी हैं।
हिंदी, संस्कृत और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें साहित्य श्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
अधिवक्ता परिषद उत्तराखंड देहरादून इकाई द्वारा स्वाध्याय मण्डल का आयोजन
सर्वोच्च न्यायालय ने मृतक के वारिसों को मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी का लाभ देने से इंकार करने पर उत्तर प्रदेश राज्य पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया
Tuesday, February 7, 2023
मां की कस्टडी में रहने से बच्चे का भला होगा: दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला को उसके नाबालिग बच्चे के साथ अमेरिका जाने की अनुमति दी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक महिला की याचिका को अपने नाबालिग बच्चे के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित करने की अनुमति दी है, जबकि यह देखते हुए कि यह बच्चे के हित में होगा कि वह अपनी मां के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित हो जाए। "मौजूदा मामले के तथ्यों में, मेरी सुविचारित राय है कि यह निश्चित रूप से बच्चे के हित में होगा कि वह अपनी मां के साथ यूएसए में स्थानांतरित हो जाए और प्रतिवादी के अधिकारों को पर्याप्त रूप से संरक्षित किया जा सकता है ताकि उसे बातचीत करने की स्वतंत्र रूप से अनुमति दी जा सके।" वीडियो कॉल के साथ-साथ उसे छुट्टियों के दौरान बच्चे की विशेष अभिरक्षा प्रदान करना, जब याचिकाकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि उसे भारत लाया जाए।”, न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा। इस मामले में, पक्षों के बीच कुछ विवाद उत्पन्न हुए, जिसके बाद वे न केवल आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए सहमत हुए बल्कि इस बात पर भी सहमत हुए कि नाबालिग बच्चे की स्थायी अभिरक्षा याचिकाकर्ता के पास रहेगी।
याचिकाकर्ता-महिला ने, बाद में फैमिली कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें मुलाक़ात के अधिकारों की मौजूदा व्यवस्था में संशोधन की मांग की गई थी, क्योंकि वह अपनी बेटी के साथ यूएसए में स्थानांतरित होना चाहती थी। आवेदन का बच्चे के प्रतिवादी-पिता द्वारा विरोध किया गया था, इस आधार पर कि याचिकाकर्ता का यूएसए में स्थानांतरित होने का इरादा प्रतिवादी को मुलाक़ात के अधिकारों से वंचित करने का प्रयास था। फैमिली कोर्ट ने पक्षकारों के प्रतिद्वंदियों की दलीलों पर विचार करने के बाद पक्षकारों को अपने-अपने साक्ष्य प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इन परिस्थितियों में बच्चे की याचिकाकर्ता-महिला-मां ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Amount of maintenance shall be payable from the date of filing of application under Section 125 Crpc
National Consumer Disputes Redressal Commission ordered to pay full insured amount.
Monday, February 6, 2023
सुप्रीम कोर्ट के पांच नए जजों ने सोमवार को शपथ ली, जिससे शीर्ष अदालत की स्वीकृत संख्या 34 के मुकाबले 32 हो गई।
Sunday, February 5, 2023
ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो नगर निगम को निर्दोष जानवरों को मारने के लिए बाध्य करता हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपद्रव करने वाले पक्षियों या जानवरों को मारने की याचिका ख़ारिज की
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में उपद्रव करने वाले पक्षियों या जानवरों को नष्ट करने के कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए नगर निगम को एक निर्देश के साथ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया।
जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ नगर निगम, लखनऊ को शहर में उपद्रव या कीट पैदा करने वाले पक्षियों या जानवरों को नष्ट करने और आवारा या मालिक रहित कुत्तों को नष्ट करने के कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए एक निर्देश जारी करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि “ऐसा कोई निर्देश न्यायालय द्वारा जारी नहीं किया जा सकता है क्योंकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो नगर निगम को निर्दोष जानवरों को मारने के लिए बाध्य करता हो।”
उपरोक्त के मद्देनजर, खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी।
केस का शीर्षक: मनोज कुमार दुबे बनाम यूपी राज्य
बेंच: जस्टिस रमेश सिन्हा और सुभाष विद्यार्थी
Thursday, February 2, 2023
अधीनस्थ न्यायालय के न्यायिक अधिकारियों की पद्दोन्नति/स्थानांतरण सूची जारी
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सुप्रीम कोर्ट ने एक आरोपी की जमानत याचिका पर विचार करते हुए आर्य समाज द्वारा जारी एक विवाह प्रमाण पत्र को स्वीकार करने से इनकार ...
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आज प्रदेश के अधिवक्ताओं की समस्याओं को लेकर माननीय चेयरमैन बार काउंसिल श्री मधुसूदन त्रिपाठी जी के साथ माननीय मुख्यमंत्री महोदय ...
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संभल-जिला उपभोक्ता आयोग संभल ने आयोग के आदेश का अनुपालन न करने पर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष व चंदौसी खंड के अधिशास...