Sunday, January 29, 2023

नये आधार पर दूसरी अग्रिम जमानत याचिका पोषणीय-इलाहाबाद हाईकोर्ट


जस्टिस करुणेश सिंह पवार की एकल न्यायाधीश पीठ एक दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकारी अधिवक्ता द्वारा एक प्रारंभिक आपत्ति उठाई गई थी कि राज बहादुर सिंह बनाम यूपी राज्य के मामले में एक समन्वय पीठ द्वारा पारित निर्णय के मद्देनजर इस न्यायालय में, आवेदक की दूसरी अग्रिम जमानत अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि पहली अग्रिम जमानत अर्जी दिनांक 20.12.2022 के आदेश द्वारा तय की गई थी।

आवेदक के वकील ने सबमिशन का खंडन करते हुए तर्क दिया कि असावधानी के कारण, इसे अदालत के नोटिस में नहीं लाया जा सका कि धारा 386 आईपीसी के तहत अपराध प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के बाद जोड़ा गया था, जिस्म 10 साल तक की सजा के लिए दंडनीय है।

यह प्रस्तुत किया गया था कि राज बहादुर सिंह (उपरोक्त) में निर्णय कानून की सही स्थिति निर्धारित नहीं करता है। उन्होंने प्रस्तुत किया है कि एकल न्यायाधीश का अवलोकन है कि अग्रिम जमानत देने की शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 से प्रवाहित नहीं होती है, जो सुशीला अग्रवाल बनाम राज्य (दिल्ली एनसीटी) अन्य 2020 एससी 831 (प्रासंगिक पैरा 54 से 57) में संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है।

पक्षकारों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने फैसला सुनाया कि:

A.G.A. ने वर्तमान अग्रिम जमानत अर्जी की पोषणीयता का विरोध किया हैहालांकिइस तथ्य पर विवाद नहीं करते है कि धारा 438 Cr.P.C. संविधान के अनुच्छेद 21 को समाहित करता है। सुशीला अग्रवाल (सुप्राके उक्त निर्णय में विशेष रूप से निर्णय के पैरा 57 मेंयह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया है कि धारा 438 Cr.P.C. संविधान के अनुच्छेद 21 को समाहित करता है और इस न्यायालय ने अनुराग दुबे बनाम यूपीराज्य, के मामले में पारित इस न्यायालय की समन्वय पीठ के फैसले पर भी ध्यान दिया है, जिसमें इस कोर्ट की कोऑर्डिनेट बेंच ने कहा है कि नए आधार पर दूसरी अग्रिम जमानत पर विचार किया जा सकता है।

इस प्रकार अदालत ने प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर दिया और योग्यता के आधार पर याचिका की सुनवाई के लिए आगे बढ़ी और आवेदक को अपराध/F.I.R क्रमांक 264/2022, धारा 147/148/323/504/506/342/386 I.P.C., P.S. गाजीपुर, जिला लखनऊ के मामले में अग्रिम जमानत दे दी।

मामले का विवरण:

आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन धारा 438 CR.P.C. क्रमांक – 31 सन 2023

रजनीश चौरसिया उर्फ रजनीश चौरसिया बनाम स्टेट ऑफ यू.पी.

No comments:

Post a Comment

Provisio of 223 of BNSS is Mandatory

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 Section 223 and Negotiable Instruments Act, 1881 Section 138 - Complaint under Section 138 of NI Ac...