माननीय न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, माननीय न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और माननीय न्यायमूर्ति रवींद्र भट की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए मार्च के फैसले से उत्पन्न एक एसएलपी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हाईकोर्ट ने मुक़दमे को इस आधार पर ख़ारिज कर दिया था कि याची को कैट के समक्ष जाना चाहिए न कि हाई कोर्ट में
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि अधिवक्ता को याचिकाकर्ताओं को कैट में मुकदमा दाखिल करने की सलाह देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट के लिए मुकदमा स्वीकार कर लिया; जब इसे खारिज कर दिया गया तो वकील ने एसएलपी के जरिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक, वकीलों द्वारा बेईमानी से सलाह देने की इस प्रथा को बंद किया जाना चाहिए।
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