Tuesday, December 19, 2023

कानून के पेशे में अब व्यवस्थित ट्रेनिंग के बिना आने वालों की भीड़ बढ़ रही है -इलाहाबाद हाई कोर्ट (लखनऊ खण्डपीठ)

याचिका में याची का शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने संबंधी आदेश को चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि वह एक जूनियर अधिवक्ता है और तमाम विपक्षी पक्षकारों की नाराजगी की वजह से उसे जान का खतरा है। यह भी दलील दी गई कि अपने जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए शस्त्र रखना उसका मौलिक अधिकार है। याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध करते हुए कहा गया कि बाराबंकी
कचहरी परिसर में शस्त्र लेकर जाने के कारण याची का लाइसेंस रद किया गया है।
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शस्त्र रखना किसी भी नागरिक का मौलिक अधिकार नहीं है बल्कि यह राज्य द्वारा दिया जाने वाला एक विशेषाधिकार है। कोर्ट ने उक्त नए अधिवक्ता को नसीहत देते हुए कहा कि एक अधिवक्ता के लिए हमेशा से कानून का ज्ञान, कठिन परिश्रम और ताकत जो उसके कलम से निकलती है, महत्वपूर्ण रहे हैं। कोर्ट ने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि कानून के पेशे में अब व्यवस्थित ट्रेनिंग के बिना आने वालों की भीड़ बढ़ रही है।

कोर्ट ने बार काउंसिल आफ इंडिया और यूपी बार कांउसिल को भी इस संबंध में उपाय तलाशने की सलाह दी है। उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दो जनवरी, 2020 को भी यह आदेश दिया था. कि कचहरी परिसर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के अतिरिक्त अन्य किसी को असलहा ले जाने की अनुमति नहीं होगी।

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