Friday, October 14, 2022

XXX सीरीज मामले में एकता कपूर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, कहा- ‘युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं’


एकता कपूर के ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दिखाई गई वेब सीरीज XXX को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। इस सीरीज को लेकर लंबे समय से मामला कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एकता कपूर के लिए कहा कि वह देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को दूषित कर रही हैं। दरअसल एकता कपूर की ओर से एक याचिका दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही चेतावनी दी कि ऐसी कोई और दलील उनके पास आती है तो उनसे एक लागत वसूल की जाएगी।

वेब सीरीज में आपत्तिजनक सीन को लेकर मामला

सुप्रीम कोर्ट एकता कपूर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। ओटीटी प्लेटफॉर्म ऑल्ट बालाजी पर प्रसारित वेब सीरीज XXX में आपत्तिजनक कॉन्टेंट के जरिए सैनिकों के कथित रूप से अपमान करने और उनके परिवारों की भावानाओं को आहत करने के लिए एकता कपूर के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती दी गई थी। बिहार के बेगूसराय की एक ट्रायल कोर्ट ने एक पूर्व सैनिक शंभू कुमार की शिकायत पर वारंट जारी किया था जिसमें आरोप लगाया गया कि वेब सीरीज के दूसरे सीजन में एक सैनिक की पत्नी के साथ आपत्तिजनक दृश्य दिखाए गए थे।

पीटीआई के अनुसार, वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी एकता की ओर से पेश हुए और कोर्ट से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा। रोहतगी ने कहा कि वेब सीरीज को सब्सक्रिप्शन के बाद ही देखा जा सकता है और हमारे देश में अपनी पसंद से देखने की स्वतंत्रता है। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने एकता की तब आलोचना की जब वकील ने कहा कि इस मामले में पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है लेकिन वहां जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की उम्मीद नहीं है।

एकता को कोर्ट ने चेतावनी भी दी

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'आप इस देश की युवा पीढ़ी के दिमाग को प्रदूषित कर रही हैं। यह सभी के लिए उपलब्ध है। ओटीटी पर कॉन्टेंट सभी के लिए उपलब्ध है। आप लोगों को किस तरह का विकल्प दे रही हैं। आप युवाओं के दिमाग को दूषित कर रही हैं।'

कोर्ट ने आगे एकता को चेतावनी दी, 'हर बार जब आप इस कोर्ट में आते हैं... हम इसकी सराहना नहीं करते। हम इस तरह की याचिका दायर करने के लिए आप से एक लागत लेंगे। मिस्टर रोहतगी कृपया इसे अपने क्लाइंट को बताएं। सिर्फ इसलिए कि आप अच्छे वकीलों की सेवाएं ले सकते हैं... यह अदालत उन लोगों के लिए नहीं है जिनके पास आवाज नहीं है। यह अदालत उनके लिए काम करती है जिनके पास आवाज नहीं है। जिन लोगों के पास हर तरह की सुविधाएं हैं अगर उन्हें न्याय नहीं मिल सकता है तो आम आदमी की स्थिति के बारे में सोचें। हमने आदेश देखा और हमारी आपत्ति है।'

कोर्ट ने दिया सुझाव

कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा और सुझाव दिया कि पटना हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई की स्थिति की जांच के लिए एक स्थानीय वकील को नियुक्त किया जा सकता है।

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