याचिका में उल्लेखित किया गया है कि आपराधिक कानून में सुधार हेतु जो कमेटी गृह मंत्रालय द्वारा मई 2020 में गठित की गई है उसमें पांचों मेंबर पुरुष ही हैं और यहां तक कि उस कमेटी में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट कि कोई न्यायाधीश पूर्व सॉलिसिटर /एडिशनल सॉलिसिटर जनरल या रिटायर्ड आईएएस /आईपीएस अधिकारी सोशल एक्टिविस्ट, जनरलिस्ट भी नहीं है यह कमेटी एक राष्ट्र एक आपराधिक कानून बनाए जाने हेतु सक्षम नहीं है इसलिए यह कमेटी गठित किये जाने का आदेश मनमाना और तर्कहीन है।
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Monday, July 19, 2021
सुप्रीम कोर्ट में मनी लांड्रिंग और ब्लैक मार्केटिंग कानूनों सहित एक राष्ट्र एक दंड विधान होना चाहिए, संबंधी याचिका दाखिल
देश में 161 वर्ष पुरानी दंड संहिता के स्थान पर एक नवीन दंड संहिता लागू की जानी चाहिए जिसके लिए केंद्र सरकार को निर्देशित किया जाए इस संबंध में एक याचिका अधिवक्ता अश्वनी कुमार उपाध्याय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि एक राष्ट्र एक दंड विधान के अभाव में रूल ऑफ लॉ एंड राइट टू लाइफ लिबर्टी एंड डिग्निटी लागू नहीं हो सकता। याचिका में भारत की रैंकिंक रूल ऑफ लाइंडेक्स एंड करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में सुधार लाए जाने हेतु भी समुचित आदेश और दिशा निर्देश सरकार को जारी किए जाने के लिए प्रार्थना की गई है।
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