केस :- WRIT - A नंबर - 7450/2021
याचिकाकर्ता:- श्रीमती पुष्पा देवी
प्रतिवादी :- उत्तर प्रदेश राज्य और 2 अन्य
याचिकाकर्ता के वकील:- घनश्याम मौर्य
प्रतिवादी के लिए वकील :- सी.एस.सी.
माननीय न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव
याचिकाकर्ता के पिता स्वर्गीय दशरथ सिंह
पुलिस विभाग में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत और तैनात थे
महिला पुलिस स्टेशन, जिला बांदा में २२.४.२०२० को उक्त पद पर कार्य करते समय उनका निधन हो गया।
स्वर्गीय दशरथ सिंह की विवाहित पुत्री ने दिनाँक 5.1.2021 पुलिस अधीक्षक, बांदा के समक्ष
अनुकम्पा नियुक्ति के लिये आवेदन प्रस्तुत किया।
याचिकाकर्ता के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह प्रस्तुत किया जाता है कि इस
रिट-ए नंबर 10928 सन 2020 के मामले में कोर्ट (मंजुल श्रीवास्तव बनाम. यू.पी. राज्य और अन्य) पर आश्वस्त होते हुए इस न्यायालय के निर्णयों ने माना है कि 'परिवार' की परिभाषा में विवाहित पुत्री का अपवर्जन का नियम भेदभावपूर्ण है और इस न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मृतक की विवाहित पुत्री भी मृतक के परिवार की परिभाषा में उसी तरह से है जैसे विवाहित पुत्र। तदनुसार, इस न्यायालय ने माना है कि विवाहित बेटी को भी मृतक के परिवार की परिभाषा में शामिल माना जाएगा और वह डाइंग-इन-हार्नेस नियम, १९७४ के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए हकदार है
इस प्रकार, वह प्रस्तुत करता है कि
प्रतिवादी संख्या ३-पुलिस अधीक्षक, जिला बांदा
याचिकाकर्ता के अनुकम्पा नियुक्ति के दावे पर विचार करने के लिये दायित्ववान हैं।
विद्वान स्थायी अधिवक्ता का निवेदन है रिट याचिका को लंबित रखने में कि कोई उपयोगी उद्देश्य नहीं है, प्रतिवादी संख्या 3 को याची के आवेदन पर विचार करने के लिए उचित निर्देश जारी किया जाये।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, बिना मामले के गुण-दोष में जाए और दोनों पक्षों की सहमति से रिट याचिका का निपटारा इस निर्देश के साथ किया जाता है याचिकाकर्ता को प्रतिवादी संख्या 3 वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के समक्ष दो सप्ताह में एक नया अभ्यावेदन दाखिल करे और उसके बाद दो महीने की अवधि में प्रतिवादी संख्या 3 विचार करेगा एवम तर्कपूर्वक आदेश के साथ निर्णीत करेगा।
इस अवलोकन के साथ याचिका निर्णीत की जाती है।
आदेश दिनाँक 15 जुलाई 2021
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