Monday, June 19, 2023

नागरिकों के समक्ष यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट प्रस्तुत किये बिना ही सरकार ने सुझाव आमंत्रित किये हैं- एड. रोहित श्रीवास्तव

सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सुझाव तो मांग लिया है लेकिन कोई ड्राफ्ट प्रस्तुत नही किया है।

ये बिल्कुल वैसा ही है कि आप मैदान पर खिलाड़ी तो बुला लो लेकिन उन्हें पता ही न हो खेल क्या खेलना है। सब आ तो गए है लेकिन स्थिति साफ नही है
अगर ड्राफ्ट सामने हो तो सुझाव देने का मतलब समझ मे आता है कि इस दायरे में रहकर चीज़े हो सकती है लेकिन जब स्थिति साफ न हो तब सुझाव से कोई बहुत बड़ा बदलाव नही आएगा।

आपको बताना होगा कि देश के नागरिको के सामाजिक, व सम्प्रदायिक अधिकारों पर इसमें कैसे सामंजस्य बिठाने की कोशिश की गई है। 

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है कि सभी सम्प्रदाय के लिए एक समान नियम नही हो सकते। हर सम्प्रदाय की अपनी एक व्यक्तिगत पहचान भी है  क्या उस पहचान के साथ कोई समझौता तो नही करना पड़ रहा है। 
उदाहरण के लिए बहुसंख्यक होने के नाते हिंदुओं को भी यह जानने का अधिकार है कि आप उनके धार्मिक एवं समाजिक अधिकारों को कैसे प्रभावित कर रहे है। उनको यूनिफार्म सिविल कोड से क्या फायदा और नुकसान है। ऐसे ही प्रश्न अन्य पंथ के लोगो के सामने भी आएंगे।

जो रूढ़ियाँ लोक व्यवहार और स्वास्थ्य के विपरीत है उनके लिए क्या व्यवस्था है।

स्त्री - पुरूष के व्यक्तिगत अधिकार, सामाजिक दायित्व, शादी, परिवार, विरासत, गोद लेने के प्रावधान, सम्पत्ति, का आवंटन ऐसे कई पहलू आएंगे जिन पर सुझाव के लिए एक कॉन्क्रीट ड्राफ्ट सामने होना चाहिए।

सरकार को ड्राफ्ट लाना चाहिए क्योंकि बहस के लिए तब ज्यादा बेहतर स्थिति सामने होगी क्योकि समान नागरिक संहिता संविधानिक निर्देश जरूर है लेकिन पंथनिरपेक्ष प्रावधान नही है बल्कि विशुद्ध सामाजिक एवं सम्प्रदायिक दस्तावेज है।

- रोहित श्रीवास्तव, एडवोकेट देहरादून।

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