पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने माना है कि एक विधवा बहू के नाबालिग बच्चे हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 के तहत भरण-पोषण के हकदार हैं। न्यायालय ने कहा कि "विधवा" शब्द में नाबालिग भी शामिल होगा। पोते अपनी मां के साथ रह रहे हैं। न्यायमूर्ति अनिल क्षेत्रपाल की एकल पीठ ने कहा, “1956 का अधिनियम एक ऐसी निराश्रित बहू की देखभाल के लिए बनाया गया एक लाभकारी कानून है, जो दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण विधवा हो जाती है। "विधवा" शब्द में नाबालिग पोते शामिल होंगे जो अपनी मां के साथ रह रहे हैं।"
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिमन्यु सिंह पेश हुए। खंडपीठ एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भरण-पोषण के लिए रुपये देने का निर्देश दिया था। 2,000/- प्रत्येक अपने तीन पोते-पोतियों को। इसलिए, याचिकाकर्ता द्वारा उक्त आदेश की सत्यता को चुनौती देते हुए पुनरीक्षण याचिका दायर की गई थी।
Cause Title- Hari Ram Hans v. Smt. Deepali and Others
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