Monday, May 26, 2025

बच्चों के अच्छे लालन पालन के लिए उनका दादा दादी के रहना जरूरी - कोलकाता हाईकोर्ट


कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि बच्चों का माता-पिता की तरह दादा-दादी के साथ रहना भी जरूरी है। वे दादा-दादी से कहानियां सुनते हैं। दादा-दादी अपने जीवन के अनुभवों को भी उनके साथ साझा करते हैं। इससे उनके परस्पर संबंध मजबूत होते हैं और बच्चों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बच्चों के अच्छी तरह से पालन-पोषण में यह महत्वपूर्ण है। हाई कोर्ट ने आठ साल की बच्ची से जुड़े मामले में यह बात कही।

मामला है बच्ची के माता-पिता अलग रहते हैं। दोनों ही पेशे से चिकित्सक हैं। बच्ची मां के साथ रहती है। कोलकाता की अलीपुर अदालत ने पिता को तीन दिन अपनी बेटी के साथ वीडियो कांफ्रेसिंग पर बात करने व एक दिन उससे मिलने की अनुमति दी है। पिता बेटी को गर्मियों की छुट्टी में 15 दिन अपने साथ रखना चाहते थे। मां ने इसका विरोध किया। पिता ने इस बाबत अलीपुर अदालत में आवेदन किया था। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने मामले पर सुनवाई के दौरान बच्ची से अलग से बातचीत कर उसकी 
इच्छा भी जानी थी। बच्ची ने न्यायाधीश को बताया कि उसे अपने पिता के साथ 15 दिन रहने में कोई परेशानी नहीं है, हालांकि मां के साथ होने पर उसे और भी खुशी होगी।

हाई कोर्ट पहुंची मां
मां ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पिता के अधिवक्ता ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि जितने दिन बेटी अपने पिता के साथ रहेगी, उतने दिन उसके दादा-दादी भी साथ रहेंगे। न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की पीठ ने कहा कि बच्चों के पिता के साथ समय व्यतीत करने की भी आवश्यकता होती है। न्यायमूर्ति ने कहा कि बच्ची जब भी फोन पर अपनी मां के साथ बात करना चाहेगी, उसे बात करने देना होगा। बच्ची को कोलकाता के बाहर भी कहीं नहीं ले जाया जा सकेगा। बच्चों के अच्छी तरह से पालन-पोषण में यह महत्वपूर्ण है, इससे बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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