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Sunday, January 30, 2022
Proceeding under oder 41 rule 27 not intended to remove defects in evidence at the appellate stage- High Court Allahabad
Saturday, January 29, 2022
चुनाव के दौरान पुलिस नागरिकों को लाईसेंसी हथियार जमा करने के लिये विवश नहीं कर सकती- हाईकोर्ट इलाहाबाद
Friday, January 28, 2022
Contempt petition - High Court cannot issue direction to State to form new policy. (Supreme Court)
Friday, January 21, 2022
हिंदू महिला यदि नि:संतान और बिना वसीयत के मरती है तो विरासत में प्राप्त उसकी सम्पत्ति मूल स्रोत को लौट जाती है : सर्वोच्च न्यायालय
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नज़ीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने बंटवारे संबंधी मुकदमे के फैसले में कहा,
"यदि एक हिंदू महिला बिना किसी वसीयत के नि:संतान मर जाती है, तो उसके पिता या माता से विरासत में मिली संपत्ति उसके पिता के उत्तराधिकारियों के पास चली जाएगी, जबकि उसके पति या ससुर से विरासत में मिली संपत्ति उसके पति के वारिसों के पास जाएगी।''
इस मामले में, विचाराधीन संपत्ति निश्चित रूप से मारप्पा गौंडर की स्व-अर्जित संपत्ति थी। अपीलकर्ता द्वारा उठाया गया प्रश्न यह था कि क्या स्वर्गीय गौंडर की एकमात्र जीवित पुत्री कुपेयी अम्मल को उत्तराधिकारी के तौर पर विरासत मिलेगी और संपत्ति उत्तरजीविता द्वारा हस्तांतरित नहीं होगी? इस प्रकार, कोर्ट इस सवाल पर विचार कर रहा था कि क्या इकलौती बेटी अपने पिता की खुद की संपत्ति का उत्तराधिकारी बन सकती है, यदि वसीयत न की गयी हो(हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अधिनियमन से पहले)। दूसरा प्रश्न ऐसी बेटी की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के आदेश के संबंध में था (जो 1956 के अधिनियम के लागू होने के बाद था)।पहले प्रश्न के संबंध में, कोर्ट ने प्रथागत हिंदू कानून और न्यायिक घोषणाओं का हवाला देते हुए कहा कि स्व-अर्जित संपत्ति या वैसे हिंदू पुरुष की सहदायिक संपत्ति के विभाजन में एक विधवा या बेटी को हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार न केवल परम्परागत हिन्दू कानून में, बल्कि विभिन्न न्यायिक फैसलों में भी मान्यता प्राप्त है, जिनकी मृत्यु बगैर वसीयत के हो गयी है। [निर्णय (पैरा 21-65) पुराने हिंदू कानून की अवधारणाओं और इसके इस्तेमाल के साथ-साथ इसकी उत्पत्ति, स्रोतों और न्यायिक घोषणाओं पर चर्चा करता है।
कोर्ट ने कहा,
"एक विधवा या बेटी के अधिकार को स्व-अर्जित संपत्ति या एक हिंदू पुरुष की सहदायिक संपत्ति के विभाजन में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार न केवल पुराने प्रथागत हिंदू कानून के तहत बल्कि विभिन्न न्यायिक घोषणाओं द्वारा भी अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है।"
अन्य मुद्दे पर, पीठ ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14 और 15 का उल्लेख किया और निम्नलिखित टिप्पणियां की:
71. धारा 15 की उप-धारा (1) की योजना यह प्रदर्शित करती है कि निर्वसीयत मरने वाली हिंदू महिलाओं की संपत्ति उनके अपने उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित करने के लिए है, जिसकी सूची धारा 15 (1) के खंड (ए) से (ई) में दी गई है। धारा 15 की उप-धारा (2) केवल विरासत के माध्यम से अर्जित संपत्ति के संबंध में अपवाद का उल्लेख करती है और यह अपवाद एक हिंदू महिला द्वारा अपने पिता या माता, या उसके पति से, या उसके ससुर से विरासत में मिली संपत्ति तक ही सीमित है। उप-धारा (2) द्वारा बनाए गए अपवाद केवल उस स्थिति में संचालित होंगे जब हिंदू महिला की मृत्यु बिना किसी प्रत्यक्ष वारिस, यानी उसके बेटे या बेटी या पूर्व-मृत बेटे या बेटी के बच्चों के बिना हो जाती है।
इस प्रकार, यदि एक हिंदू महिला बिना किसी संतान के मर जाती है, तो उसके पिता या माता से विरासत में मिली संपत्ति उसके पिता के वारिसों के पास जाएगी, जबकि उसके पति या ससुर से विरासत में मिली संपत्ति उसके पति के वारिस के पास जाएगी। यदि एक हिंदू महिला के मरने के बाद उसके घर में उसका पति या कोई संतान हो, तो धारा 15 (1)(ए) लागू होती है और उसके माता-पिता से उसे विरासत में मिली सम्पत्ति भी उसके पति और उसकी संतान को एक साथ हस्तांतरित होगी जैसा कि अधिनियम की धारा 15(1)(ए) में प्रावधान किया गया है।
73. धारा 15(2) को लागू करने में विधायिका का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक हिंदू महिला यदि नि:संतान बिना वसीयत किये मर जाती है तो उसकी सम्पत्ति स्रोत को वापस चली जाती है।
74. धारा 15(1)(डी) में प्रावधान है कि प्रविष्टि (ए) से (सी) तक में निर्दिष्ट महिला के सभी वारिसों के न होने की स्थिति में उसकी सारी संपत्ति, चाहे वह कितनी भी अर्जित की गई हो, पिता के वारिसों को हस्तांतरित हो जाएगी। पिता के वारिसों पर हस्तांतरण उसी क्रम में और उन्हीं नियमों के अनुसार होगा जैसे यदि संपत्ति पिता की होती और उसकी बिना वसीयत के उसकी मृत्यु के तुरंत बाद सम्पत्ति का जिस प्रकार बंटवारा होता।
कोर्ट ने 'पंजाब सरकार बनाम बलवंत सिंह 1992 सप्लीमेंट्री (3) एससीसी 108' और 'भगत राम (मृत) कानूनी प्रतिनिधि के जरिये बनाम तेजा सिंह (मृत) कानूनी प्रतिनिधि के जरिये (2002) 1 एससीसी 210' मामलों में की गई निम्नलिखित टिप्पणियों का भी संज्ञान लिया।
"जिस स्रोत से उसे संपत्ति विरासत में मिली है वह हमेशा महत्वपूर्ण होता है और वह स्थिति को नियंत्रित करेगा। अन्यथा वे व्यक्ति जो उस व्यक्ति से दूर-दूत तक भी संबंधित नहीं हैं, जिसके पास मूल रूप से संपत्ति थी, वे उस संपत्ति को प्राप्त करने का अधिकार हासिल कर लेंगे। यह धारा 15 की उप-धारा 2 के इरादे और उद्देश्य को हरा देगा, जो उत्तराधिकार का एक विशेष पैटर्न देता है।"
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में, अदालत ने कहा कि कुपायी अम्मल की मृत्यु के बाद 1967 में विवादित संपत्तियों का उत्तराधिकार खोला गया। इसलिए 1956 का अधिनियम लागू होगा और इस तरह रामासामी गौंडर की बेटियां भी अपने पिता के प्रथम श्रेणी की वारिस होने के नाते उत्तराधिकारी होंगी और विवादित संपत्तियों में प्रत्येक के 1/5 वें हिस्से की हकदार होंगी ।
केस का नामः अरुणाचल गौंडर (मृत) बनाम पोन्नुसामी
20 जनवरी 2022
Wednesday, January 19, 2022
Allahabad High Court extended all the interim orders till 28-02-2022
Tuesday, January 18, 2022
The summon may be served through whatsapp- Delhi High Court.
Saturday, January 15, 2022
Cognizance order - At pre-trial stage proceedings cannot be quashed by exercising power under Section 482- Allahabad High Court
Offence under NDPS Act - Right to be searched in presence of a Magistrate is not there - Violation of Section 50 of Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act - Accused entitled for acquittal- Kerala High Court
Sunday, January 9, 2022
New COVID-19 guidelines issued by Allahabad High Court for Subordinate Courts on 09.01.2022
Thursday, January 6, 2022
The Magistrate is bound to order the registration of FIR when application u/s 156(3) itself disclose cognizable offence- Allahabad High Court
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