अधिनियम में कहा गया है कि इसलिए अधिवक्ताओं के विरुद्ध हिंसा को प्रतिबंधित करने तथा उन्हें बिना किसी भय या बाहरी प्रभाव के अपनी पेशेवर सेवा प्रदान करने के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए कानून बनाना आवश्यक है।
अधिनियम में "अधिवक्ता" की परिभाषा के अनुसार वह अधिवक्ता या वरिष्ठ अधिवक्ता या विधि व्यवसायी है जिसका नाम अधिवक्ता अधिनियम, 1961 (केंद्रीय अधिनियम 25/2 1961) की धारा 17 के अंतर्गत बनाए गए अधिवक्ताओं की सूची में दर्ज है तथा जिसके पास कर्नाटक राज्य बार काउंसिल द्वारा जारी वैध अभ्यास प्रमाणपत्र है, जैसा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (सत्यापन) नियम, 2015 के नियम 4 के अंतर्गत परिभाषित किया गया है तथा वह किसी भी बार का सदस्य है।
विधेयक में प्रावधान किया गया है कि इस अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय प्रत्येक अपराध संज्ञेय होगा और धारा 3 के अंतर्गत अपराध करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को छह माह से तीन वर्ष तक के कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जाएगा।
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