सीबीआई अदालत ने पूर्व एजीएम के साथ चार लोगों को पांच साल के कड़े कारावास की सजा सुनाई है। इन सभी आरोपियों पर 53.82 करोड़ रुपये के लोन में धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है।
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अदालत ने पीएनबी के तत्कालीन एजीएम आरपी गर्ग, शीतल रिफाइनरीज लिमिटेड के तत्कालीन एमडी जितेंद्र कुमार अग्रवाल, सुधीर भूरारिया और मनीष भूरारिया को 75,000 रुपये के जुर्माने के साथ जेल की सजा सुनाई है। सीबीआई द्वारा मंगलवार को जारी बयान के मुताबिक, अदालत ने शीतल रिफाइनरीज लिमिटेड कंपनी पर भी 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
सीबीआई ने 19 फरवरी, 2016 को शीतल रिफाइनरीज लिमिटेड और उसके निदेशकों के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी करने और पंजाब नेशनल बैंक को 53.82 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में मामला दर्ज किया था।
सीबीआई ने 19 फरवरी 2016 को शीतल रिफाइनरीज लिमिटे के निदेशकों के खिलाफ कथित रूप से बैंक धोखाधड़ी करने और पीएनबी से 53.82 करोड़ रुपये का नुकसान करने के लिए मामला दर्ज किया था। आरोपी ने कथित तौर पर बैंक को झूठे बयान, दस्तावेज और जानकारी पेश की थी। उन्होंने शेयर आवेदन राशि, क्रेडिट सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए झूठे स्टॉक स्टेटमेंट और गलत जानकारी के साथ ऑडिटेड बैलेंस शीट भी सौंपी थी। साथ ही आरोपियों ने चार एलसीएस खोले और एलसीएस में शर्तें एक समान नहीं थीं।
तत्कालीन एजीएम ने चालान और पुष्टिकरण पत्रों की राशि में अंतर की जांच नहीं की थी, जिसके परिणामस्वरूप बैंक द्वारा उधारकर्ता को अधिक भुगतान किया गया था। आरोपी एजीएम ने आईबीए द्वारा अनुमोदित ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से माल परिवहन की शर्त भी नहीं लगाई थी और आरोपी को लॉरी रसीद जमा करने की अनुमति दी थी जहां ट्रांसपोर्टर आईबीए की अनुमोदित सूची में नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने एलसी नियमों और शर्तों में संशोधन किया था।
जांच के बाद, 23 सितंबर 2016 को हैदराबाद में सीबीआई अदालत के समक्ष पंजाब नेशनल बैंक, शीतल रिफाइनरीज लिमिटेड के तत्कालीन सहायक महाप्रबंधक आर.पी. गर्ग, कंपनी के एमडी और अन्य सहित छह आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। हालांकि शीतल रिफाइनरीज लिमिटेड के तत्कालीन सीएमडी का निधन हो गया था और उनके खिलाफ मामला ट्रायल कोर्ट द्वारा समाप्त कर दिया गया था। लेकिन, ट्रायल कोर्ट ने उक्त आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें सजा सुना दी।
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