LAWMAN Times
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Saturday, July 26, 2025
मतांतरण किए बिना किया गया विवाह अवैध- इलाहाबाद हाईकोर्ट
Sunday, July 20, 2025
Criminal proceedings can be quashed by the High Court even for non-compoundable offences.
Saturday, July 19, 2025
संपत्ति सुरक्षा के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा एक सिविल उपचार-अधिवक्ता परिषद ब्रज का स्वाध्याय मंडल आयोजित
Wednesday, July 16, 2025
Friday, July 11, 2025
Friday, July 4, 2025
बीमा कंपनी अदा करे 5130000 रु - जिलाउपभोक्ता आयोग
Thursday, July 3, 2025
सम्भल हरिहर मंदिर विवाद में अगली सुनवाई 21 जुलाई को
संभल हरिहर मंदिर विवाद में बड़ी पक्ष के अधिवक्ता श्री गोपाल शर्मा द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 19 मार्च 2025 के आदेश की प्रति सिविल जज आदित्य कुमार सिंह के न्यायालय में प्रस्तुत की गई जिसका माध्यम से बताया गया कि हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद कमेटी द्वारा योजित याचिका निरस्त कर दी गयी है जिसमे हाईकोर्ट ने दिनांक 19 नवम्बर 2024 को सिविल जज सीनियर डिवीजन सम्भल द्वारा दिए गए सर्वे कमीशन के आदेश को सही ठहराते हुए निचली अदालत में लगी सुनवाई पर लगी रोक हटा दी है।
ए एस आई और भारत सरकार के अधिवक्ता विष्णु कुमार शर्मा ने बताया कि प्रतिवादी संख्या 2, 3 व 4 की ओर से पूर्व में ही जबाब दावा प्रस्तुत किया जा चुका है और हाई कोर्ट से भी सुनवाई पर लगी रोक हटा दी गयी है। ऐसी स्तिथि में वाद की कार्यवाही प्रारंभ हो जानी चाहिये। सिमरन गुप्ता द्वारा उपरोक्त वाद में पक्षकार बनाये जाने हेतु प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। जिसकी प्रति वादी प्रतिवादी पक्षकार को उपलब्ध कराए जाने को न्यायालय ने कहा। अग्रिम कार्यवाही के न्यायालय द्वारा दिनांक 21/07/2025 नियत की गई है।
बीमित की मृत्यु के उपरान्त नवीनीकृत कराई गई लेप्स पॉलिसी का भुगतान नहीं किया जा सकता
रजपुरा जिला संभल निवासी मटरू ने आई. सी. आई. सी. आई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से अपने जीवन सुरक्षा हेतु एक जीवन बीमा पॉलिसी ली थी। बीमित मटरू की मृत्यु दिनांक 12/01/2022 को हो गई जिसका क्लेम दावा परिवादिनी अमजदी पत्नी मटरू ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग सम्भल में अपने अधिवक्ता के माध्यम से योजित किया और बीमा कंपनी से 12% ब्याज सहित 804000 रुपए की धनराशि की मांग की।
बीमा कंपनी की ओर से अधिवक्ता ने अपना प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि बीमित द्वारा बीमा पॉलिसी की किस्त अन्तिम रूप से दिनांक 25/10/2021 को अदा की गई थी और इसके उपरांत अगलु मासिक क़िस्त अगले माह 30/11/2021 को अदा की जानी थी जोकि अदा नहीं की गई। इसी दौरान दिनांक 12/01/2022 को बीमित व्यक्ति मटरू की मृत्यु हो गई और बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद ऑनलाइनल रिन्युवल प्रीमियम दिनांक 24/01/2022 को फर्जी रूप से नफ़ा नाजायज़ कमाने के उद्देश्य से जमा किया गया जबकि ये प्रीमियम जमा किये जाने से पहले ही दिनांक 12/01/2022 को बीमित व्यक्ति मटरू की मृत्यु हो चुकी थी।दिनांक 30/11/2021 व 31/12/2021 को देय प्रीमियम जमा नहीं किया गया जिसके आधार पर आयोग द्वारा यह अवधारित किया गया कि प्रश्नगत पॉलिसी बीमित व्यक्ति की मृत्यु के पूर्व दिनांक 30/11/2021 व 15 दिन के ग्रेस पीरियड सहित दिनांक 15/12/2021 को लेप्स हो चुकी थी ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि बीमा कंपनी द्वारा उपभोक्ता सेवा में कोई कमी अथवा अनुचित व्यापारिक व्यवहार कारित किया है उपरोक्त आधारों पर परिवादी का परिवाद निरस्त कर दिया गया।
Saturday, June 7, 2025
गवाहों को प्रभावित करने पर पूर्व मंत्री विनय कुलकर्णी की जमानत निरस्त
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि रिकार्ड में पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं जो दर्शाते हैं कि कुलकर्णी ने गवाहों से संपर्क करने या उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया गया था। इसलिए जमानत रद की जाती है। अदालत ने कुलकर्णी को शुक्रवार से एक सप्ताह के भीतर संबंधित ट्रायल कोर्ट या जेल प्राधिकरण के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश सीबीआइ के माध्यम से दायर की गई कर्नाटक राज्य की अपील पर दिया है। याचिका में बेंगलुरु के एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी गई थी। इससे पहले सीबीआइ ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष कुलकर्णी सहित दो आरोपितों को दी गई जमानत रद करने के लिए याचिका दायर की थी। ट्रायल कोर्ट ने कुलकर्णी मामले में हस्तक्षेप करने से यह कहते हुए कि इन्कार कर दिया, उन्हें अगस्त 2021 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जमानत दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि आरोपित ने गवाहों से संपर्क करने और उन्हें प्रभावित करने का प्रयास किया। कुलकर्णी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि कुलकर्णी ने किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि इस आदेश में की गई टिप्पणियां अपीलकर्ता की उस याचिका तक सीमित हैं जिसमें प्रतिवादी को दी गई जमानत को रद करने की मांग की गई है। पीठ ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वह सुप्रीम की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिन सुनवाई शीघ्रता से पूरा करने का प्रयास करे। स्मरण रहे कि योगेश गौड़ा भाजपा के जिला पंचाय सदस्य थे। जून 2016 में धारवा जिले में उनकी हत्या कर दी गई थी। सितंबर 2019 में राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी।
मतांतरण किए बिना किया गया विवाह अवैध- इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि मतांतरण किए बिना विपरीत धर्म के जोड़ों की शादी अवैध है। कोर्ट ने गृह सचिव...
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आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के तहत आपराधिक मामले से संबंधित लोक अदालत द्वारा पारित पु...