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Saturday, July 19, 2025

संपत्ति सुरक्षा के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा एक सिविल उपचार-अधिवक्ता परिषद ब्रज का स्वाध्याय मंडल आयोजित

अधिवक्ता परिषद ब्रज जनपद इकाई सम्भल के स्वाध्याय मंडल की बैठक दिनांक 19/07/2025 एडवोकेट अजीत सिंह स्मृति भवन बार रूम सभागार चंदौसी में आयोजित की गई,  जिसमें जिला कार्यकारणी अधिवक्ता परिषद बृज का विस्तार करते हुए सचिन शर्मा को मंत्री नियुक्त किया गया साथ ही चंदौसी बार एसोसियशन  के वरिष्ठ उपाध्यक्ष  पद पर निर्विरोध चुने जाने पर विपिन कुमार सिंह राघव का पटका पहना कर स्वागत किया,  उसके बाद मुख्य वक्ता दीपक राठौर एडवोकेट ने सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत आदेश 39 अस्थाई व्यादेश मामलों पर बताया कि किन परिस्थितियों में अस्थाई व्यादेश आदेश 39  के वाद न्यायालय में लाये जा सकते हैं आदेश 39, सिविल प्रक्रिया संहिता सीपीसी में अस्थायी निषेधाज्ञा और अंतरिम आदेशों से संबंधित है। इसका मुख्य उद्देश्य मुकदमे के लंबित रहने के दौरान संपत्ति को नुकसान या दुरुपयोग होने से बचाना है। यह आदेश न्यायालय को यह सुनिश्चित करने का अधिकार देता है कि संपत्ति को नष्ट या स्थानांतरित न किया जाए, और यह सुनिश्चित करता है कि वादी को उसके अधिकारों से वंचित न किया जाए।
अस्थायी निषेधाज्ञा अदालत का आदेश है जो किसी पक्ष को किसी विशेष कार्य को करने से रोकता है, या किसी विशेष कार्य को करने के लिए बाध्य करता है, जब तक कि मुकदमे का निपटारा नहीं हो जाता। 

अंतरिम आदेश के ये आदेश मुकदमे के दौरान जारी किए जाते हैं ताकि संपत्ति की रक्षा की जा सके या वादी के अधिकारों को सुरक्षित किया जा सके। 
इसके अंतर्गत नियम 1 और 2  उन स्थितियों को बताते हैं  जिनमें अस्थायी निषेधाज्ञा जारी की जा सकती है। 
नियम 2ए उन व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान करता है जो अदालत द्वारा जारी निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हैं, जिसमें सिविल कारावास और संपत्ति की कुर्की शामिल हो सकती है। 
नियम 3 यह बताता है कि एकपक्षीय निषेधाज्ञा जारी होने पर विरोधी पक्ष को 24 घंटे के भीतर इसकी सूचना दी जानी चाहिए। 
नियम 4 यह बताता है कि निषेधाज्ञा आदेश को कब रद्द या परिवर्तित किया जा सकता है। 
संक्षेप में, आदेश 39 सीपीसी मुकदमे के दौरान संपत्ति की सुरक्षा और वादी के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। इस प्रकार, अस्थायी निषेधाज्ञा देने से पहले कुछ शर्तों को पूरा करना आवश्यक है जैसे कि प्रथम दृष्टया मामला वादी के पक्ष में और प्रतिवादी के खिलाफ है.
वादी को अपूरणीय क्षति होने की संभावना है, जिसकी भरपाई धन के रूप में नहीं की जा सकती है
सुविधा का संतुलन  वादी के पक्ष में है और प्रतिवादी के विरुद्ध है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजीव शर्मा तथा संचालन विकास कुमार मिश्रा ने किया। 
कार्यक्रम मे विष्णु शर्मा, राहुल चौधरी, प्रवीण गुप्ता, विभोर बंसल, रमेश सिंह राघव, चंद्र शेखर, शबाब आलम, कुणाल, शुभम प्रताप सिंह, रजनी शर्मा, अमरीश कुमार, राहुल रस्तौगी, श्यामेन्द्र सिंह, सचिन शर्मा, सुनील कुमार सिंह, अजय कुमार, मोक्षिका शर्मा, आशीष अग्रवाल, नरेश कुमार, विपिन कुमार सिंह राघव, यशपाल सिंह राणा, नवीन कोहली आदि अधिवक्ता उपस्थित रहे।

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